मेरे हाथों में तेरे गिरहबान होंगे
जब कभी अश्क बाज़ुबान होंगे
मोह्ताज हम नहीं तेरे ऐ सूरज
रौशनी के और भी इंतजाम होंगे
आईने कितने बदलोगे "प्रकाश"
चेहरे से कम कहाँ निशान होंगे
जब कभी अश्क बाज़ुबान होंगे
मोह्ताज हम नहीं तेरे ऐ सूरज
रौशनी के और भी इंतजाम होंगे
आईने कितने बदलोगे "प्रकाश"
चेहरे से कम कहाँ निशान होंगे