शुक्रवार, 18 अप्रैल 2014

मेरे हाथों में तेरे गिरहबान होंगे
जब कभी अश्क बाज़ुबान होंगे

मोह्ताज हम नहीं तेरे ऐ सूरज
रौशनी के और भी इंतजाम होंगे

आईने कितने बदलोगे "प्रकाश"
चेहरे से कम कहाँ निशान होंगे

रविवार, 2 दिसंबर 2012

मेरी गजलों से मिलें


http://omprakashbeadab.blogspot.in/ 


जुगनुओं से भर लिया आंगन 
चाँद अपना हुआ हुआ न हुआ 

आज का दिन बस मिले मुझको 
कल का क्या हुआ हुआ न हुआ

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ग़जल ग़जल हो गई 
जिन्दगी अजल हो गई